क्या विष्णु पलुस्कर ने 34 साल की उम्र में भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया?

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क्या विष्णु पलुस्कर ने 34 साल की उम्र में भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया?

सारांश

पंडित विष्णु पलुस्कर, जिन्होंने मात्र 34 साल की उम्र में भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नई दिशा दी, अपने संगीत के माध्यम से आज भी जीवित हैं। उनके योगदान और संगीत की विरासत को जानें।

Key Takeaways

  • पंडित विष्णु पलुस्कर का जन्म 28 मई, 1921 को हुआ था।
  • उन्होंने ग्वालियर घराने की गायन शैली को अपनाया।
  • उनका योगदान भारतीय शास्त्रीय संगीत को आम जनमानस तक पहुंचाना था।
  • विष्णु पलुस्कर का निधन 34 साल की उम्र में हुआ।
  • उनकी संगीत की विरासत आज भी जीवित है।

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। संगीत एक ऐसी कला है जिसमें सुर की साधना करते हुए ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में ऐसे कई गायक हुए हैं जिन्होंने अपनी साधना से संगीत को समृद्ध किया है। ऐसे ही एक गायक थे पंडित दत्तात्रेय विष्णु पलुस्कर, जिन्हें पंडित डी. वी. पलुस्कर के नाम से जाना जाता है।

महान गायक और संगीतकार विष्णु पलुस्कर का जन्म 28 मई, 1921 को महाराष्ट्र के कुरुंदवाड़ में हुआ था। वे प्रसिद्ध संगीतज्ञ पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर के पुत्र थे। पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर का भी भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध बनाने और जन-जन तक पहुंचाने में अहम योगदान रहा था। उनका ही अंश उनके पुत्र विष्णु पलुस्कर में भी था।

डी. वी. पलुस्कर ने अपने पिता की विरासत को न केवल संजोया, बल्कि उसे और समृद्ध किया। ग्वालियर घराने से संबंध रखने वाले पलुस्कर की गायन शैली में रागों की शुद्धता, भावनात्मकता और तकनीकी कुशलता का असाधारण समन्वय था। उनके कुछ प्रसिद्ध रागों में यमन, भूप, दरबारी और मालकौस शामिल हैं, जिन्हें उन्होंने अपनी अनूठी शैली में प्रस्तुत किया। उनके मधुर आवाज में गाए ख्याल, ठुमरी और भजन श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते थे।

पलुस्कर ने संगीत को आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए प्रयास किए। उन्होंने अपने पिता द्वारा स्थापित गांधर्व महाविद्यालय की परंपरा को आगे बढ़ाया और संगीत शिक्षा को बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों से शास्त्रीय संगीत को न केवल मंचों पर, बल्कि आम लोगों के बीच भी लोकप्रियता मिली।

मात्र 34 साल की उम्र में 25 अक्टूबर, 1955 को उनका निधन हो गया। लेकिन उनके निधन के बाद भी उनके संगीत की विरासत आज भी जीवित है जिसे उनके शिष्यों और अनुयायियों ने आगे बढ़ाया। पंडित पलुस्कर की रिकॉर्डिंग्स संगीत प्रेमियों के बीच आज भी लोकप्रिय हैं। महज 34 साल की उम्र में भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए जो कुछ भी उन्होंने किया, उसे संगीत से जुड़े लोग कभी भूल नहीं सकते।

Point of View

बल्कि उन्होंने इसे आम जनता के बीच भी लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया। उनकी विरासत आज भी जीवित है और संगीत प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
NationPress
26/10/2025

Frequently Asked Questions

पंडित विष्णु पलुस्कर का जन्म कब हुआ था?
पंडित विष्णु पलुस्कर का जन्म 28 मई, 1921 को महाराष्ट्र के कुरुंदवाड़ में हुआ था।
विष्णु पलुस्कर ने किस संगीत शैली को अपनाया?
विष्णु पलुस्कर ने ग्वालियर घराने की गायन शैली को अपनाया और उसमें अपनी अनूठी शैली जोड़ी।
उनका सबसे बड़ा योगदान क्या था?
उनका सबसे बड़ा योगदान भारतीय शास्त्रीय संगीत को आम जनमानस तक पहुंचाना और शिक्षा को बढ़ावा देना था।
उन्होंने कितनी उम्र में निधन किया?
उन्होंने मात्र 34 साल की उम्र में 25 अक्टूबर, 1955 को निधन किया।
क्या उनकी संगीत की विरासत आज भी जीवित है?
हाँ, उनके संगीत की विरासत आज भी उनके शिष्यों और अनुयायियों के माध्यम से जीवित है।