क्या भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ई-सेवाओं की संख्या 21,060 का आंकड़ा पार कर गई?

सारांश
Key Takeaways
- ई-सेवाओं की संख्या 21,062 तक पहुँच गई है।
- त्रिपुरा ने सबसे अधिक नई सेवाएं जोड़ी हैं।
- 16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने 90 प्रतिशत से अधिक सैचुरेशन हासिल किया है।
- महाराष्ट्र और उत्तराखंड ने 100 प्रतिशत सैचुरेशन प्राप्त किया है।
- डीएआरपीजी हर दो वर्ष में एनईएसडीए अध्ययन आयोजित करता है।
नई दिल्ली, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा गुरुवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध ई-सेवाओं की कुल संख्या 21,062 तक पहुँच गई है, जिसमें से 7,065 सेवाएं स्थानीय शासन और यूटिलिटी सर्विस सेक्टर से संबंधित हैं।
नेशनल ई-गवर्नेंस सर्विस डिलीवरी असेसमेंट (एनईएसडीए) रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि अप्रैल महीने में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 424 नई ई-सेवाएं जोड़ी गई हैं, जिसमें त्रिपुरा ने सभी फोकस सेक्टर में सबसे अधिक नई सेवाएं जोड़ी हैं।
2,016 अनिवार्य ई-सेवाओं में से 1,599 (36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से प्रत्येक के लिए 56) अब सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिससे 79 प्रतिशत से अधिक का सैचुरेशन रेट प्राप्त हुआ है।
16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जिन्होंने 90 प्रतिशत से अधिक सैचुरेशन हासिल किया, जबकि महाराष्ट्र और उत्तराखंड ने 100 प्रतिशत सैचुरेशन प्राप्त किया है।
रिपोर्ट में चंडीगढ़ के राइट टू सर्विस (आरटीएस) ढांचे के माध्यम से सार्वजनिक सेवा वितरण को सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता को उजागर किया गया है।
रिपोर्ट में यह भी शामिल है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने सिंगल यूनिफाइड सर्विस डिलीवरी पोर्टल के माध्यम से कितनी ई-सेवाएं उपलब्ध कराई हैं और तीन नए मूल्यांकन मापदंडों को शामिल करने की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है।
केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों के सर्विस डिलीवरी पोर्टल, वस्तु और सेवा कर पोर्टल और नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल को सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
डीएआरपीजी ने 2019 में एक बेंचमार्किंग एक्सरसाइज के तहत ई-सेवाओं के वितरण के लिए नेशनल ई-गवर्नेंस सर्विस डिलीवरी असेसमेंट (एनईएसडीए) ढांचा तैयार किया था, जिसमें सात क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
डीएआरपीजी हर दो वर्ष में एनईएसडीए अध्ययन आयोजित करता है और इस प्रक्रिया में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ई-सेवा वितरण में हुई प्रगति की निगरानी के लिए नियमित समीक्षा बैठकों का आयोजन करता है।