क्या प्रदोष व्रत रखने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं? जानें तिथि और पूजा विधि
Key Takeaways
- प्रदोष व्रत से सभी कष्ट दूर होते हैं।
- इस दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व है।
- सही विधि से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाता है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का समय 2 दिसंबर को अपराह्न 3 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 3 दिसंबर को अपराह्न 12 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इसके बाद चतुर्दशी तिथि का आरंभ होगा।
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बुधवार को सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा 11 बजकर 14 मिनट तक मेष राशि में रहेगा। इसके बाद चंद्रमा वृषभ राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय अपराह्न 12 बजकर 11 मिनट से लेकर 1 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
शिव पुराण के अनुसार, प्रदोष व्रत का पालन करने से सभी पाप और कष्ट दूर होते हैं और शिव धाम की प्राप्ति होती है। इससे जीवन में सुख और समृद्धि का संचार होता है।
शिव पुराण में वर्णित है कि सोमवार का दिन चंद्र देव (सोम) से संबंधित है, जिन्होंने भगवान शिव की आराधना के माध्यम से क्षय रोग से मुक्ति पाई थी। एक अन्य कथा में माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत किया था। इसलिए इस दिन पूजा-पाठ से जीवन में सुख-शांति और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस तिथि पर भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा करने के लिए जातक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करने के बाद मंदिर या पूजा स्थल को साफ करना चाहिए। एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं। उस पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और भोलेनाथ का अभिषेक करें। उन पर बिल्वपत्र, चंदन, अक्षत, फल और फूल अर्पित करें।
भोलेनाथ की पूजा के साथ ही माता पार्वती की भी पूजा का ध्यान रखें। माता को शृंगार की सोलह वस्तुएं चढ़ाएं।
इसके साथ भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें, सोमवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें, और अंत में दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें और "ओम नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।