क्या श्री बाला ब्रह्मेश्वर स्वामी मंदिर आक्रमणकारियों के हमले के बावजूद मजबूती से खड़ा है?

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क्या श्री बाला ब्रह्मेश्वर स्वामी मंदिर आक्रमणकारियों के हमले के बावजूद मजबूती से खड़ा है?

सारांश

श्री बाला ब्रह्मेश्वर स्वामी मंदिर, आंध्रप्रदेश का एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो आक्रमणकारियों के हमलों के बावजूद अपनी अद्भुत वास्तुकला और धार्मिक महत्व को बनाए रखे हुए है। यहाँ दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानिए इस मंदिर के विशेषताओं के बारे में।

Key Takeaways

  • श्री बाला ब्रह्मेश्वर स्वामी मंदिर दक्षिण का एक महत्वपूर्ण शिव मंदिर है।
  • यह मंदिर अद्भुत वास्तुकला और प्राचीन नक्काशी का उदाहरण है।
  • आक्रमणकारियों के हमले के बावजूद मंदिर की संरचना सुरक्षित है।
  • यहाँ दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास है।
  • मंदिर में आज भी नियमित पूजा अर्चना होती है।

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आंध्रप्रदेश में स्थित श्रीकालहस्ती मंदिर को दक्षिण का कैलाश के नाम से जाना जाता है। लेकिन, भगवान शिव का एक और मंदिर है, जिसे प्राचीन काल से 'दक्षिण का कैलाश' कहा जाता है।

यह मान्यता है कि इस मंदिर में केवल दर्शन करने से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन आक्रमणकारियों के कारण इसकी स्थिति जर्जर हो गई है।

तेलंगाना के आलमपुर में कुरनूल के पास स्थित श्री बाला ब्रह्मेश्वर स्वामी मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इसे नवब्रह्म मंदिरों में से एक माना जाता है, जिसका निर्माण छठी शताब्दी के मध्य चालुक्य वंश के द्वारा किया गया था। चालुक्य शासन के दौरान हिंदू देवी-देवताओं के कई मंदिरों का निर्माण हुआ था।

यह कहा जाता है कि आक्रमणकारियों के हमले के बावजूद भी मंदिर की स्थिति आज भी सुरक्षित है। हालांकि, कुछ हिस्से प्रभावित हुए हैं।

यह मंदिर पत्थरों से बना है, यही कारण है कि यह आज भी मजबूती से खड़ा है। पुरातत्व विभाग ने यहां कई मूर्तियों को अच्छी स्थिति में पाया है। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की बारीकी से नक्काशी की गई है, जिसे आज के युग में मशीनों से भी नहीं किया जा सकता। मंदिर की छत पर चारों कोनों में अलग-अलग दिशाओं में भगवान नंदी विराजमान हैं, जिन्हें सुरक्षा के रक्षक के रूप में माना जाता है।

श्री बाला ब्रह्मेश्वर स्वामी मंदिर 18 शक्तिपीठों में से एक है। यह माना जाता है कि यहां माता सती के दांत गिरे थे और मां शक्ति के रूप में विराजमान हुईं। मंदिर में माता को देवी जोगुलम्बा के रूप में पूजा जाता है, जबकि भगवान शिव को बाला ब्रह्मेश्वर स्वामी के रूप में पूजा जाता है।

मंदिर के भीतर पिंडीनुमा शिवलिंग स्थापित है, जिसे स्वयंभू माना गया है। भक्त दूर-दूर से मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। यहां आज भी पूजा-अर्चना का क्रम जारी है, जबकि अन्य नवब्रह्म मंदिरों में पूजा बंद हो चुकी है।

यह बताया जाता है कि मंदिर पर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने हमला किया था, लेकिन केवल कुछ हिस्से ही प्रभावित हुए थे।

Point of View

मैं यह मानता हूँ कि श्री बाला ब्रह्मेश्वर स्वामी मंदिर हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय वास्तुकला और इतिहास की भी कहानी सुनाता है। हमें ऐसे स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए।
NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

श्री बाला ब्रह्मेश्वर स्वामी मंदिर का इतिहास क्या है?
यह मंदिर छठी शताब्दी में चालुक्यों द्वारा बनाया गया था और इसे नवब्रह्म मंदिरों में से एक माना जाता है।
क्या इस मंदिर में पूजा अर्चना होती है?
जी हाँ, यहाँ आज भी पूजा अर्चना का क्रम जारी है।
मंदिर में कौन सी प्रमुख मूर्तियाँ हैं?
यहाँ पिंडीनुमा शिवलिंग और देवी जोगुलम्बा की मूर्ति प्रमुख हैं।
क्या मंदिर पर आक्रमण हुआ था?
हाँ, मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिर पर हमला किया था, लेकिन इसका कुछ हिस्सा ही प्रभावित हुआ।
क्या यहाँ से मोक्ष की प्राप्ति होती है?
जी हाँ, यहाँ दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति का मान्यता है।
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