क्या लोकेशन मांगने वाले मोबाइल ऐप से आपकी निजी जानकारी लीक हो सकती है?

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क्या लोकेशन मांगने वाले मोबाइल ऐप से आपकी निजी जानकारी लीक हो सकती है?

सारांश

आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में चेतावनी दी है कि लोकेशन एक्सेस मांगने वाले मोबाइल ऐप्स आपकी व्यक्तिगत जानकारी को लीक कर सकते हैं। यह अध्ययन महत्वपूर्ण जानकारी सामने लाता है जो आपके डेटा की सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। जानें कैसे ये ऐप्स आपकी गतिविधियों का पता लगा सकते हैं।

Key Takeaways

  • लोकेशन मांगने वाले ऐप्स निजी जानकारी लीक कर सकते हैं।
  • एंड्रोकॉन ने 99% सटीकता से वातावरण का पता लगाया।
  • यूजर्स को अपनी गोपनीयता सेटिंग्स की समीक्षा करनी चाहिए।
  • शोध ने सुरक्षा खामियों को उजागर किया है।
  • जीपीएस डेटा का प्रयोग संवेदनशील जानकारी की पहचान के लिए किया जा सकता है।

नई दिल्ली, ३० अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। गुरुवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत एक चौंकाने वाली स्टडी के अनुसार, जो मोबाइल ऐप्स लोकेशन एक्सेस की मांग करते हैं, वे आपकी महत्वपूर्ण निजी जानकारी को लीक करने का खतरा पैदा कर सकते हैं। इसमें आपकी गतिविधियां, आस-पास का माहौल और यहां तक कि जिस कमरे या फ्लोर पर आप हैं, उसका लेआउट भी शामिल है।

यह अध्ययन जर्नल एटीएम ट्रांजेक्शन ऑन सेंसर नेटवर्क्स में प्रकाशित किया गया है, जिसमें एंड्रोकॉन पर ध्यान केंद्रित किया गया है—यह पहला सिस्टम है जो दर्शाता है कि सटीक लोकेशन परमिशन वाले एंड्रॉयड ऐप्स के लिए पहले से मौजूद “फाइन-ग्रेन्ड” जीपीएस डेटा एक सीक्रेट सेंसर के रूप में कार्य कर सकता है।

एंड्रोकॉन बिना कैमरा, माइक्रोफोन या मोशन सेंसर का उपयोग किए, नौ लो-लेवल जीपीएस पैरामीटर—जैसे कि डॉपलर शिफ्ट, सिग्नल पावर और मल्टीपाथ इंटरफेरेंस—की व्याख्या करके यह पहचान सकता है कि कोई बैठा है, खड़ा है, या लेटा हुआ है। आईआईटी दिल्ली के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन साइबर सिस्टम्स एंड इंफॉर्मेशन एश्योरेंस के एम टेक स्टूडेंट सोहम नाग के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने कहा कि वे यह भी पता लगा सकते हैं कि कमरा भीड़ वाला है या खाली

टीम ने शोर वाले रॉ डेटा को साफ जानकारी में बदलने के लिए क्लासिकल सिग्नल प्रोसेसिंग को आधुनिक मशीन लर्निंग के साथ मिलाया।

आईआईटी दिल्ली के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर स्मृति आर. सारंगी ने बताया, “एक साल तक चली इस स्टडी में, जो ४०,००० वर्ग किमी और कई विभिन्न फोन पर की गई, एंड्रोकॉन ने आस-पास के माहौल का पता लगाने में ९९ प्रतिशत तक और मानव गतिविधियों को पहचानने में ८७ प्रतिशत तक सफलता प्राप्त की। यहां तक कि फोन के पास हाथ हिलाने जैसी छोटी गतिविधियों को भी पहचानने में सक्षम रहा।”

यह प्रणाली जीपीएस पैटर्न और यूजर ट्रैजेक्टरी का उपयोग करके इनडोर फ्लोर मैप भी बना सकती है, जिसमें गलती का मार्जिन ४ मीटर से कम हो सकता है। यह कमरे, सीढ़ियां और लिफ्ट की पहचान कर सकती है।

हालांकि एंड्रोकॉन संदर्भ-जानकारी वाली, गोपनीयता का ध्यान रखने वाली स्मार्ट सेवाओं के लिए रोमांचक संभावनाएं प्रस्तुत करता है, पर यह एक गंभीर सुरक्षा कमी को भी उजागर करता है। टीम ने कहा कि सटीक लोकेशन परमिशन वाला कोई भी एंड्रॉयड ऐप यूजर की स्पष्ट सहमति के बिना संवेदनशील संदर्भ की जानकारी का पता लगा सकता है।

सारंगी ने आगे कहा, “यह स्टडी जीपीएस के एक अनदेखे पहलू को दर्शाती है: एक शक्तिशाली लेकिन चुप चैनल जो हमारे आस-पास की दुनिया को अनुभव कर सकता है। एंड्रोकॉन रोजमर्रा के स्मार्टफोन को अचानक एक वैज्ञानिक उपकरण में बदल देता है और यह याद दिलाता है कि सबसे परिचित तकनीक में भी छिपे हुए रहस्य होते हैं जिनका गलत उपयोग किया जा सकता है।”

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम डिजिटल युग में अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें। यह अध्ययन एक स्पष्ट संकेत है कि हमें अपने मोबाइल ऐप्स के माध्यम से साझा की जाने वाली जानकारी पर ध्यान देना चाहिए। सभी उपयोगकर्ताओं को सतर्क रहना चाहिए और अपने डेटा की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।
NationPress
30/10/2025

Frequently Asked Questions

लोकेशन एक्सेस मांगने वाले ऐप्स से क्या खतरा है?
ये ऐप्स आपकी व्यक्तिगत गतिविधियों और आस-पास के माहौल की जानकारी को लीक कर सकते हैं।
क्या मैं इन ऐप्स से अपनी जानकारी की सुरक्षा कर सकता हूँ?
आप अपनी गोपनीयता सेटिंग्स को समायोजित करके और ऐप्स की परमिशन को नियंत्रित करके अपनी जानकारी की सुरक्षा कर सकते हैं।
क्या एंड्रोकॉन ऐप्स का उपयोग करना सुरक्षित है?
एंड्रोकॉन जैसे ऐप्स की सुरक्षा पर विचार करना आवश्यक है, क्योंकि वे सटीक लोकेशन डेटा का उपयोग करते हैं।