क्या भारत की पवन ऊर्जा क्षमता 51.5 गीगावाट तक पहुंच गई है?: प्रल्हाद जोशी

सारांश
Key Takeaways
- भारत की पवन ऊर्जा क्षमता अब 51.5 गीगावाट है।
- इसमें 10.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- सौर ऊर्जा क्षमता 110.83 गीगावाट तक पहुंच गई है।
- प्रधानमंत्री का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट का है।
- ग्लोबल विंड डे पर पवन ऊर्जा का जश्न मनाया जाता है।
नई दिल्ली, 15 जून (राष्ट्र प्रेस) केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने रविवार को बताया कि भारत की पवन ऊर्जा क्षमता पिछले वर्ष के 46.42 गीगावाट की तुलना में 10.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 51.5 गीगावाट तक पहुंच गई है।
मंत्री ने 'ग्लोबल विंड डे' के अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि 51.5 गीगावाट की इस क्षमता के साथ, "हम इनोवेशन, ग्रीन टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबल प्रोग्रेस द्वारा संचालित एक आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर हैं।"
जोशी ने कहा, "इस ग्लोबल विंड डे पर, हमें भारत की स्वच्छ ऊर्जा वृद्धि को गति देने वाली पवन ऊर्जा की शक्ति का जश्न मनाना चाहिए।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
मंत्री के अनुसार, सौर ऊर्जा से लेकर पवन ऊर्जा तक, हमारा देश एक उज्जवल और अधिक टिकाऊ भविष्य की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मई में कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता पिछले वर्ष के इसी महीने के 193.58 गीगावाट से बढ़कर 226.74 गीगावाट हो गई, जो सालाना आधार पर 17.13 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता में से सौर ऊर्जा क्षमता मई 2024 में 84.28 गीगावाट से 31.49 प्रतिशत बढ़कर 110.83 गीगावाट हो गई।
भारत की सौर ऊर्जा क्षमता ने पिछले 11 वर्षों में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाई है, यह 2014 में केवल 2.82 गीगावाट थी।
सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता की स्थापना में विस्तार को सौर सेल और वेफर्स के मजबूत घरेलू उत्पादन द्वारा समर्थन मिला है, जो 2014 में लगभग नगण्य था। भारत ने अब 25 गीगावाट के सौर सेल और 2 गीगावाट के वेफर उत्पादन के साथ एक मजबूत आधार तैयार किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में देश के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।