क्या भारत और रूस संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग के लिए एकजुट हैं?
सारांश
Key Takeaways
- भारत और रूस ने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का निर्णय लिया।
- संयुक्त राष्ट्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी।
- जी20 प्रारूप में सहयोग को और प्रगाढ़ करने की कोशिश की जाएगी।
- रूस ने भारत के ब्रिक्स अध्यक्षता का समर्थन किया।
- एससीओ में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर भारत का दौरा किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। इसके साथ ही, दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने पर सहमति जाहिर की।
दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के मुद्दों पर उच्च स्तरीय राजनीतिक संवाद और सहयोग के महत्व पर जोर दिया और इसे और मजबूत करने पर सहमति बनाई। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय समन्वयकारी भूमिका को मान्यता देते हुए, बहुपक्षीयता को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। अंतरराष्ट्रीय कानून के सम्मान को प्राथमिकता देने पर भी चर्चा की गई, साथ ही संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
दोनों पक्षों ने समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के मुद्दों पर प्रभावी रूप से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार की आवश्यकता जताई। रूस ने भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपने समर्थन को फिर से दोहराया।
दोनों पक्षों ने जी20 प्रारूप में अपने सहयोग को और प्रगाढ़ करने पर जोर दिया। उन्होंने 2023 में भारत की जी20 अध्यक्षता की महत्वपूर्ण विरासत को वैश्विक दक्षिण के देशों की प्राथमिकताओं का समावेश बताया। भारतीय अध्यक्षता में 'वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ' वर्चुअल शिखर सम्मेलन के आयोजन का स्वागत किया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि जी20 एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच है जो उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं को समान और लाभकारी संवाद के लिए एक मंच प्रदान करता है। ब्रिक्स साझेदारी को मजबूत करने पर भी चर्चा हुई, जिसमें राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच सहयोग के तीन स्तंभों के तहत विस्तार करने की प्रतिबद्धता जताई गई।
दोनों पक्षों ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के ढांचे में अपने संयुक्त कार्य के महत्व को रेखांकित किया। भारत ने रूसी संघ के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एससीओ सरकार के प्रमुखों की बैठक की सफल मेज़बानी के लिए सराहना की।
अंत में, दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों और सांस्कृतिक विविधता के आधार पर एक निष्पक्ष बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण की दिशा में एससीओ की भूमिका को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।