क्या एसआईआर के लिए बीएलओ को ट्रेनिंग नहीं मिली? मुसलमानों पर टारगेट किया जा रहा है: अखिलेश यादव
Key Takeaways
- एसआईआर पर राजनीति का बढ़ता प्रभाव।
- बीएलओ की ट्रेनिंग की कमी।
- मुसलमानों पर टारगेटिंग के आरोप।
- चुनाव आयोग की आवश्यक सुधार।
- सरकारी जिम्मेदारी पर सवाल।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। एसआईआर पर राजनीति खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि बीएलओ को फॉर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "असली एसआईआर और सुधार चुनाव आयोग में अनिवार्य हैं। ये कमियां इतनी अधिक क्यों हैं? मुझे समझ नहीं आता कि राज्य सरकार मैपिंग कैसे कर रही है। इस पर चुनाव आयोग को ध्यान देना चाहिए।"
अखिलेश यादव ने कहा कि 5 करोड़ लोगों को फिर से फॉर्म भरने होंगे, जो सामान्य नहीं है। रामपुर में एक महिला ने अपने बेटों के लिए फॉर्म भरे हैं जो राज्य में नहीं हैं, और उसे ऐसा करने का अधिकार है। किसी भी बीएलओ को ट्रेनिंग नहीं दी गई है। बीएलओ को यह भी नहीं पता कि कौन सा फॉर्म देना है।
अखिलेश यादव ने कहा, "जिलाधिकारी रामपुर से नोएडा अपना स्थानांतरण चाहते हैं, इसलिए उसने नूरजहां के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। उत्तर प्रदेश के लगभग 3 करोड़ मजदूर राज्य से बाहर हैं। इस प्रक्रिया में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है।"
असल में, रामपुर में तथ्यों को छुपाकर एसआईआर फॉर्म जमा करने के मामले में तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। आरोप है कि नूरजहां नाम की महिला ने विदेश में कई वर्षों से रहने वाले अपने दो बेटों के बारे में गलत जानकारी एसआईआर फॉर्म में भरी।
उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी 2024 में मजबूती से उभरी और अब हम एसआईआर का सामना कर रहे हैं। एसआईआर के बारे में अगर आपको याद हो, तो मिल्कीपुर में अयोध्या चुनाव के दौरान मैंने आपके सामने अधिकारियों के नाम पढ़े थे और चुनाव के लिए जिम्मेदार लोगों की ओर इशारा किया था। चुनावों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना जरूरी है, ताकि पता चल सके कि कहां गलतियां और कमियां हुईं।
अखिलेश यादव ने कहा, "गोवा की घटना बहुत दुखद है। हालांकि सोमवार को लोकसभा में हमने वंदे मातरम गाया था। हम सोच रहे थे कि वंदे मातरम हमारे लिए बहुत भावनात्मक है और गोवा की घटना उससे भी ज्यादा भावनात्मक है। ऐसी लापरवाही खासकर जब इस तरह के संस्थान मौजूद हों और कोई बड़ी घटना हो जाए, तो सरकार और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह बनाती है।"
कफ सिरप मामले में उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि इस मामले में भाजपा के लोग ही शामिल हैं। इसलिए सरकार इन लोगों पर कार्रवाई नहीं कर पा रही है। जिन विभागों को कार्यवाही करनी है, वे खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास हैं। इसके बावजूद कुछ नहीं हो रहा है।