क्या तमिलनाडु के रामनाथपुरम में मिर्च किसानों को बेमौसम बारिश से भारी नुकसान हुआ?

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क्या तमिलनाडु के रामनाथपुरम में मिर्च किसानों को बेमौसम बारिश से भारी नुकसान हुआ?

सारांश

तमिलनाडु के रामनाथपुरम में मिर्च की कटाई का मौसम खत्म हो गया है, लेकिन किसान बेमौसम बारिश के कारण गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं। जानें कैसे यह स्थिति किसानों की आजीविका को प्रभावित कर रही है।

Key Takeaways

  • रामनाथपुरम में मिर्च की खेती का क्षेत्र लगभग 15,000 हेक्टेयर है।
  • बेमौसम बारिश के कारण उपज में 20 से 50 प्रतिशत तक की कमी आई है।
  • किसान प्रति एकड़ 300-350 किलोग्राम मिर्च की फसल की जगह केवल 200 किलोग्राम प्राप्त कर रहे हैं।
  • किसानों ने बुनियादी ढांचे के समर्थन की मांग की है।
  • जैविक मिर्च की विदेशों में मजबूत मांग है।

चेन्नई, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में मिर्च की कटाई का मौसम समाप्त हो चुका है, लेकिन किसान अब भी इस साल की शुरुआत में हुई बेमौसम बारिश के असर से जूझ रहे हैं।

दिसंबर और मार्च में हुई अनियमित बारिश ने फसल को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे उपज में कमी आई है और घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय निर्यात में भारी गिरावट आई है। अनुमानित रूप से यह कमी 20 से 50 प्रतिशत के बीच है।

रामनाथपुरम मिर्च की प्रीमियम किस्मों, विशेषकर सांबा और मुंडू की खेती के लिए प्रसिद्ध है, जो लगभग 15,000 हेक्टेयर में फैली हुई है। हालांकि, कृषि विपणन और कृषि व्यवसाय विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अनियमित मौसम के कारण 11,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिससे उपज की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में भारी कमी आई है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "किसान आमतौर पर प्रति एकड़ 300 से 350 किलोग्राम मिर्च की फसल लेते हैं। इस सीजन में, औसत घटकर केवल 200 किलोग्राम रह गया है। नुकसान के कारण गुणवत्ता प्रभावित हुई है, जिससे बाजार में कीमतें भी गिर गई हैं। पिछले साल मिर्च की कीमत 250 रुपये प्रति किलोग्राम तक थी। इस साल, गुणवत्ता के आधार पर कीमतें 120 से 200 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच हैं।”

इन झटकों के बावजूद, कुछ किसान आशान्वित हैं। कामुधी ब्लॉक के जैविक मिर्च किसान और निर्यातक आर.पी. राधाकृष्ण ने कहा कि जैविक रूप से उगाई गई सांबा और मुंडू मिर्च की विदेशों में अब भी मजबूत मांग है।

उन्होंने कहा, “पिछले साल, हमने अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों को लगभग 80 टन निर्यात किया था। इस साल, कम पैदावार के कारण, हम केवल 50 टन ही भेज पाए।”

राधाकृष्ण ने आगे कहा, “लेकिन फसल पूरी होने के साथ, हम अगले बुवाई चक्र की तैयारी कर रहे हैं, जो तमिल महीने आदी (जुलाई) से शुरू होता है। अगर हालात सुधरते हैं, तो साल के अंत तक निर्यात फिर से बढ़ जाना चाहिए।”

फसल के नुकसान के मद्देनजर, किसानों ने बुनियादी ढांचे के समर्थन के लिए अपनी अपील को पुनः दोहराया है। कई लोग सरकार से वातानुकूलित भंडारण सुविधाएं स्थापित करने की मांग कर रहे हैं, जिससे मिर्च की गुणवत्ता को बनाए रखने और महंगे निजी गोदामों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।

एक अन्य किसान ने कहा, "रामनाथपुरम मिर्च की स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय मांग है। प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए, हमें बेहतर कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और कीट-प्रतिरोधी मिर्च किस्मों के लिए सहयोग की आवश्यकता है।"

-राष्ट्र प्रेस

एएसएच/केआर

Point of View

हमें किसानों की समस्याओं को समझना होगा और उन्हें समर्थन प्रदान करना होगा। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार को प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
NationPress
24/06/2025

Frequently Asked Questions

रामनाथपुरम में मिर्च की फसल क्यों प्रभावित हुई?
रामनाथपुरम में बेमौसम बारिश ने फसल को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे उपज में कमी आई है।
किसानों ने सरकार से क्या मांगा है?
किसानों ने सरकार से वातानुकूलित भंडारण सुविधाएं स्थापित करने की मांग की है।
इस साल मिर्च की कीमतें क्यों गिर गई हैं?
उपज की गुणवत्ता प्रभावित होने के कारण इस साल मिर्च की कीमतें गिर गई हैं।