क्या सेनाओं ने पश्चिमी सीमाओं के पास अद्वितीय तत्परता का प्रदर्शन किया?

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क्या सेनाओं ने पश्चिमी सीमाओं के पास अद्वितीय तत्परता का प्रदर्शन किया?

सारांश

हाल ही में, थलसेना और भारतीय वायुसेना ने 'मरु ज्वाला' के तहत एक अद्वितीय एयरबोर्न अभ्यास किया है, जो सटीकता और उच्च तालमेल का प्रतीक है। समन्वित कार्यप्रणाली से भारतीय सशस्त्र बलों ने अपनी युद्धक क्षमताओं को दर्शाया है।

Key Takeaways

  • थलसेना और भारतीय वायुसेना ने 'मरु ज्वाला' में अद्वितीय प्रदर्शन किया।
  • सामरिक तालमेल और त्वरित प्रतिक्रिया का महत्व।
  • त्रि-सेवा अभ्यास 'त्रिशूल' का हिस्सा।
  • कंप्लेक्स एयरबोर्न अभियानों की योजना और निष्पादन में दक्षता।
  • भारतीय वायुसेना की क्षमता का प्रमाणन।

नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। थलसेना और भारतीय वायुसेना ने संयुक्तता और मिशन तत्परता का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए एक समन्वित एयरबोर्न अभ्यास का आयोजन किया। इस अभ्यास को 'मरु ज्वाला' नाम दिया गया है। इस प्रभावशाली अभ्यास में दोनों सेनाओं ने सटीकता, तालमेल और परिचालन दक्षता का अद्वितीय प्रदर्शन किया।

इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान सीमा के निकट राजस्थान के थार रेगिस्तान में सैन्य अभ्यास 'महागुजराज' संपन्न किया। सेना के अनुसार, इस अभ्यास ने यह प्रमाणित किया कि भारतीय सशस्त्र बल जटिल एयरबोर्न अभियानों की योजनाओं, समन्वय और निष्पादन में एकीकृत रूप से कार्य करने में सक्षम हैं।

सेना ने बुधवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि यह अभ्यास भारतीय सशस्त्र बलों की संयुक्त युद्धक क्षमता का शानदार प्रतीक रहा। यहाँ सशस्त्र बलों के बीच रणनीतिक तालमेल और तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली। यह रणनीतिक तालमेल भविष्य के बहु-आयामी युद्धक्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाने में सक्षम है। यह अभ्यास दक्षिणी कमान की सुदर्शन चक्र कोर के तहत एकीकृत त्रि-सेवा अभ्यास 'त्रिशूल' का हिस्सा था। लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिणी कमान ने प्रत्यक्ष रूप से इस अभ्यास को देखा।

उन्होंने एयरबोर्न बलों, सुदर्शन चक्र कोर और भारतीय वायुसेना के अधिकारियों एवं जवानों की उच्च स्तर की संचालनिक तत्परता और पेशेवर क्षमता की सराहना की। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान सीमा के निकट राजस्थान के थार रेगिस्तान में सैन्य अभ्यास 'महागुजराज' को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया। इसी दौरान थलसेना, वायुसेना और नौसेना ने संयुक्त अभ्यास भी किया। इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं की संयुक्त युद्धक क्षमताओं और समन्वय का प्रदर्शन करना था। यह संयुक्त त्रि-सेवा युद्धाभ्यास 'त्रिशूल' का हिस्सा था।

वहीं वायुसेना के अभियान 'महागुजराज' नाम से संचालित किए गए। भारतीय वायुसेना ने पश्चिमी क्षेत्र में अभ्यास महागुजराज-25 का आयोजन किया। यह अभ्यास 28 अक्टूबर से 11 नवंबर तक चला। संचालनिक उत्कृष्टता और संयुक्त तत्परता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय वायुसेना का यह व्यापक अभ्यास वायुसेना की क्षमता को प्रमाणित करता है। वायुसेना अपनी इस क्षमता के माध्यम से विभिन्न वायु अभियानों के संपूर्ण दायरे को कवर करती है।

इसके अंतर्गत वायुसेना एयर कैंपेन से लेकर समुद्री और एयर-लैंड मिशनों तक प्रभावी ढंग से संचालन करने में सक्षम है।

Point of View

यह कहना उचित है कि भारतीय सशस्त्र बलों का यह संयुक्त अभ्यास न केवल उनकी तत्परता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि देश किसी भी आंतरिक या बाहरी खतरे का सामना करने के लिए हमेशा तैयार है।
NationPress
12/11/2025