क्या अमेरिका ने परमाणु स्थलों पर हमले के जरिए एनपीटी का उल्लंघन किया है, आत्मरक्षा का अधिकार हमें है: अराघची

सारांश
Key Takeaways
- अमेरिका का हमला एनपीटी का उल्लंघन है।
- ईरान आत्मरक्षा का अधिकार रखता है।
- सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य अमेरिका की भूमिका पर सवाल।
- मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने की आशंका।
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उल्लंघन के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
तेहरान, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। ईरानी विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने रविवार को अमेरिका की तीखी आलोचना करते हुए उस पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का "घोर उल्लंघन" करने का आरोप लगाया।
यह आरोप तब लगा जब अमेरिकी सेना ने इजरायल के सहयोग से ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर सटीक हमले किए।
अराघची की यह कड़ी प्रतिक्रिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शनिवार रात को दिए गए संबोधन के बाद आई है। ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका ने इजरायल के साथ मिलकर फोर्डो, नतांज और एस्फाहान परमाणु स्थलों पर हमले किए हैं।
इस हमले ने वर्तमान संघर्ष को और बढ़ाने की आशंका को जन्म दिया है। 13 जून को इजरायल के ईरान पर किए गए सरप्राइज हमले के बाद से मध्य पूर्व में स्थिति गंभीर हो गई है।
अराघची ने एक्स न्यूज चैनल पर लिखा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य अमेरिका ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करके संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और एनपीटी का गंभीर उल्लंघन किया है।"
उन्होंने कहा, "आज सुबह जो हुआ वह अत्यंत खतरनाक, अवैध और आपराधिक है। इसका प्रभाव हमेशा रहेगा। दुनिया के सभी देशों को इसकी चिंता होनी चाहिए।"
अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत ईरान के अधिकारों का हवाला देते हुए उन्होंने आत्मरक्षा के अधिकार की बात की। बोले, "संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार आत्मरक्षा का अधिकार हमारे पास है और ईरान अपने लोगों, संप्रभुता और हितों की रक्षा के लिए हर विकल्प अपनाएगा।"
ट्रंप ने अपने संबोधन में अमेरिकी सेना के इस सफल ऑपरेशन की सराहना की और कहा कि ईरान की परमाणु क्षमताओं को बढ़ने से रोकना आवश्यक था।
ट्रंप ने हमलों के कुछ ही घंटों बाद कहा, "मैं उन महान अमेरिकी देशभक्तों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने आज रात उन शानदार मशीनों को उड़ाया और संयुक्त राज्य अमेरिका की पूरी सेना को एक ऐसे ऑपरेशन के लिए बधाई देना चाहता हूं, जैसा कि दुनिया ने कई दशकों में नहीं देखा है।"
"यह जारी नहीं रह सकता। ईरान के लिए या तो शांति होगी या त्रासदी, पिछले आठ दिनों में हमने जो देखा है उससे कहीं ज्यादा बड़ा नुकसान होगा। याद रखें, अभी कई लक्ष्य बचे हुए हैं।"
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इन हमलों का उद्देश्य ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता को कमजोर करना और दुनिया में आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले नंबर एक देश से उत्पन्न परमाणु खतरे को रोकना है।
तेहरान के साथ परमाणु समझौते पर फिर से बातचीत के लिए कई सप्ताह तक चले कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद, 2015 के समझौते से 2018 में अमेरिका के हटने के बाद ट्रंप ने ईरान के परमाणु बुनियादी ढांचे और उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों के खिलाफ इजरायल के सैन्य अभियान को पूर्ण समर्थन दिया है। यह अभियान एक सप्ताह पहले ही शुरू किया गया था।
अपने बयान में ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, "मैं प्रधानमंत्री बीबी नेतन्याहू को धन्यवाद देना चाहता हूं और बधाई देना चाहता हूं। हमने एक टीम के रूप में काम किया, जैसा शायद पहले कभी किसी टीम ने काम नहीं किया, और हम इजरायल के लिए इस भयानक खतरे को मिटाने में काफी आगे बढ़ गए हैं।"