क्या दिल्ली में चार साइबर अपराधी गिरोहों का भंडाफोड़ हुआ है?
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली पुलिस ने चार अंतरराज्यीय साइबर अपराधी गिरोहों का भंडाफोड़ किया।
- छ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
- 34 लाख रुपए से अधिक की ठगी की राशि बरामद हुई।
- फर्जी बैंक खातों का उपयोग कर ठगी की गई।
- पुलिस ने तकनीकी विश्लेषण का सहारा लिया।
नई दिल्ली, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली पुलिस की साइबर पश्चिम इकाई ने एक सप्ताह तक चले विशेष अभियान में चार अंतरराज्यीय साइबर अपराधी गिरोहों का सफलतापूर्वक भंडाफोड़ किया है।
इस कार्रवाई के दौरान छ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिनसे कुल 34 लाख रुपए से अधिक की ठगी की राशि बरामद करने के सुराग मिले। अभियान के दौरान 7 मोबाइल फोन, 3 एटीएम कार्ड, 2 चेक बुक, 1 पासबुक और 2 सिम कार्ड बरामद हुए।
यह कार्रवाई इंस्पेक्टर विकास कुमार (थाना प्रभारी, साइबर वेस्ट) और एसीपी ऑप्स विजय सिंह के नेतृत्व में डीसीपी पश्चिम शरद भास्कर दाराडे (आईपीएस) के पर्यवेक्षण में संपन्न हुई।
शिवा (19 वर्ष, बेरोजगार, 8वीं पास) और पुनीत कुमार उर्फ साहिल (22 वर्ष, बेरोजगार, 12वीं पास) को गिरफ्तार किया गया। 8 जुलाई 2024 को एक शिकायत में पीड़ित ने बताया कि फर्जी व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर खुद को पुलिस अधिकारी बताकर 'मनी लॉन्ड्रिंग जांच' के बहाने 11,75,228 रुपए की ठगी की गई। एसआई अरविंद सिंह, हेड कांस्टेबल नरेश और कांस्टेबल कपिल की टीम ने तकनीकी विश्लेषण से हरिजन बस्ती, बल्लभगढ़ से दोनों को पकड़ा। जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी खच्चर बैंक खातों का संचालन कर ठगी की राशि ट्रांसफर करते थे।
अंकित सोनकरिया (19 वर्ष, फूल विक्रेता, 8वीं पास) को उदयपुरिया गांव से गिरफ्तार किया गया। पीड़ित से गूगल मैप्स रिव्यू के नाम पर 2,74,520 रुपए ठगे गए। एसआई तरुण राणा, हेड कांस्टेबल अमर और कांस्टेबल दीपेंद्र की टीम ने छापेमारी की। आरोपी कमीशन आधारित बैंक खाते चलाता था।
लवलेश कुमार (22 वर्ष, फार्मेसी डिप्लोमा, दवा पैकिंग फैक्ट्री कर्मी) और हरभजन (24 वर्ष, बीएससी स्नातक, निजी अस्पताल सहायक) को पकड़ा गया। शिकायतकर्ता गुरजीत सिंह से मीटर सत्यापन की फर्जी एपीके इंस्टॉल कर 16,52,000 रुपए ठगे, जिसमें 6 लाख रुपए नकली खातों से ट्रांसफर हुए।
एसआई अंकुर ओहलान, हेड कांस्टेबल दीपक और कांस्टेबल भूपेंद्र की टीम ने गुड़गांव, नोएडा व अलीगढ़ में छापे मारे। आरोपी कई बैंकों में कमीशन आधारित खाते संचालित करते थे।