क्या आप जानते हैं श्री कुर्मनाथ स्वामी मंदिर के बारे में जहाँ भगवान विष्णु की पूजा कछुए के रूप में होती है?

Click to start listening
क्या आप जानते हैं श्री कुर्मनाथ स्वामी मंदिर के बारे में जहाँ भगवान विष्णु की पूजा कछुए के रूप में होती है?

सारांश

श्री कुर्मनाथ स्वामी मंदिर, आंध्र प्रदेश में स्थित है, जहाँ भगवान विष्णु को कछुए के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर पितरों के तर्पण के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ की अद्वितीय वास्तुकला और धार्मिक महत्व इस मंदिर को विशेष बनाते हैं। जानिए इस अद्भुत स्थान के बारे में और इसकी खासियतें।

Key Takeaways

  • भगवान विष्णु का कछुए के रूप में पूजा
  • पितरों के तर्पण का महत्व
  • मंदिर की अद्वितीय वास्तुकला
  • कछुए का सुख-समृद्धि का प्रतीक
  • रहस्यमयी सुरंग का उल्लेख

नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनकर्ता माना जाता है। जब-जब मानव कल्याण या सृष्टि के उद्धार की बात हुई है, तब-तब भगवान विष्णु ने विभिन्न अवतार लिए हैं।

उन्हें मत्स्य और नरसिंह अवतार में पूजा जाता है, लेकिन आंध्र प्रदेश में एक ऐसा अद्वितीय मंदिर है, जहाँ भगवान विष्णु को कछुए के रूप में पूजा जाता है। यहाँ दूर-दूर से भक्त इस अनोखे अवतार के दर्शन के लिए आते हैं।

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के पास, समुद्र से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्री कुर्मनाथ स्वामी मंदिर देश का पहला मंदिर है, जहाँ भगवान विष्णु के कछुए के अवतार की पूजा होती है। यह भगवान का दूसरा अद्भुत रूप है। पहले भगवान ने पृथ्वी को बचाने के लिए मत्स्य अवतार लिया था। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ एक बड़े कछुए की प्रतिमा भी है, जिसकी पूजा रोजाना मंदिर के पुजारियों द्वारा की जाती है।

भक्तों का मानना है कि यहाँ दर्शन करने से बड़े से बड़े कार्य पूर्ण हो जाते हैं। हिंदू धर्म और फेंगशुई दोनों में कछुआ सुख-समृद्धि और भाग्य का प्रतीक माना जाता है।

मंदिर के अंदर एक रहस्यमयी सुरंग भी है, जो कहा जाता है कि यह सीधा काशी और गया जाती है। इसी कारण यहाँ पितरों के तर्पण के लिए इसे महत्वपूर्ण माना जाता है। जो लोग गया या काशी जाकर पिंड दान नहीं कर सकते, वे इस मंदिर में आकर तर्पण कर सकते हैं। इसे मोक्ष धाम भी माना जाता है।

मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो यहाँ 201 स्तंभ हैं, जिन पर कई भाषाओं में शिलालेख हैं। मंदिर की दीवारों पर मुगल शासन और अजंता एलोरा का प्रभाव भी दिखता है। यहाँ एक बाड़ा भी है, जहाँ 100 अलग-अलग प्रजातियों के कछुए पाले जाते हैं। पर्यटक दूर-दूर से छोटे-छोटे कछुओं के दर्शन के लिए आते हैं।

धार्मिक दृष्टिकोण से, भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के समय विशाल कछुए का रूप लिया था, क्योंकि मंदारांचल पर्वत समुद्र में डूब रहा था और पर्वत को स्थिरता देने के लिए भगवान ने कूर्म (कछुआ) रूप में प्रकट हुए।

Point of View

बल्कि यह स्थान भारतीय संस्कृति की विविधता और गहराई को भी दर्शाता है। इस प्रकार के धार्मिक स्थल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
NationPress
18/11/2025

Frequently Asked Questions

श्री कुर्मनाथ स्वामी मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के पास समुद्र से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
भगवान विष्णु को किस रूप में पूजा जाता है?
यहाँ भगवान विष्णु को कछुए के रूप में पूजा जाता है।
क्या यहाँ पितरों के तर्पण की व्यवस्था है?
हाँ, इस मंदिर को पितरों के तर्पण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
मंदिर में कितने स्तंभ हैं?
मंदिर में 201 स्तंभ हैं, जिन पर कई भाषाओं में शिलालेख हैं।
क्या यहाँ कछुओं की देखभाल की जाती है?
हाँ, मंदिर के भीतर एक बाड़ा है जहाँ 100 अलग-अलग प्रजातियों के कछुओं को पाला जाता है।
Nation Press