क्या सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.9 प्रतिशत बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया, रिफंड में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई?

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क्या सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.9 प्रतिशत बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया, रिफंड में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि भारत में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है? हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, यह 5.45 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है। जानें इस वृद्धि के पीछे के कारण और रिफंड में आई वृद्धि के बारे में।

Key Takeaways

  • सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.9 प्रतिशत बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपए हुआ।
  • रिफंड में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • शुद्ध संग्रह में 1.39 प्रतिशत की कमी आई।
  • ई-पे टैक्स सुविधा ने करदाताओं के लिए प्रक्रिया को सरल बनाया है।
  • जीएसटी संग्रह भी 2 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े से ऊपर रहा है।

नई दिल्ली, 21 जून (राष्ट्र प्रेस) । आयकर विभाग द्वारा दी गई ताज़ा जानकारी के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 19 जून तक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह (कॉर्पोरेट कर, गैर-कॉर्पोरेट कर, प्रतिभूति लेनदेन कर और अन्य शुल्क) में 4.86 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह 5.45 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है।

हालांकि, रिफंड में वृद्धि के कारण शुद्ध संग्रह में हल्की कमी देखी गई। पिछले वर्ष के 4,65,275 करोड़ रुपए के मुकाबले, शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में 1.39 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 4,58,822 करोड़ रुपए रहा।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने 19 जून तक 86,385 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष कर रिफंड जारी किया है, जो 2024-25 की इसी अवधि की तुलना में 58.04 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनुसार, शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में 1.72 लाख करोड़ रुपए का कॉर्पोरेट कर (रिफंड के बाद) शामिल है, साथ ही 2.72 लाख करोड़ रुपए का गैर-कॉर्पोरेट कर और 13,013 करोड़ रुपए का प्रतिभूति लेनदेन कर (रिफंड के बाद) शामिल है।

गैर-कॉर्पोरेट कर संग्रह में अग्रिम कर में 2.68 प्रतिशत की कमी आई, जबकि कॉर्पोरेट कर में 5.68 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कुल अग्रिम कर प्राप्तियां 3.87 प्रतिशत बढ़कर 1,55,533 करोड़ रुपए हो गईं।

किसी व्यक्ति की आय या लाभ पर लगाया जाने वाला प्रत्यक्ष कर, व्यक्ति द्वारा सीधे सरकार को भुगतान किया जाता है।

आयकर विभाग ने हाल ही में ‘ई-पे टैक्स’ सुविधा शुरू की है, जिसका उद्देश्य करदाताओं के लिए कर-संबंधी प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। केंद्रीय बजट में आयकर अधिनियम, 1961 को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए इसमें व्यापक बदलाव का प्रस्ताव किया गया है।

इस बीच, मई 2025 के लिए भारत का सकल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 2.01 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया, जो मई 2024 में एकत्र 1.72 लाख करोड़ रुपए की तुलना में 16.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

यह लगातार दूसरा महीना है जब जीएसटी राजस्व 2 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े से ऊपर रहा है, जो स्वस्थ आर्थिक गतिविधि और स्थिर खपत वृद्धि का संकेत देता है।

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में जीएसटी संग्रह 2.37 लाख करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया था, जो मार्च से 13 प्रतिशत की वृद्धि थी।

Point of View

बल्कि आर्थिक स्थिरता को भी दर्शाता है। हालांकि, रिफंड में वृद्धि के कारण शुद्ध संग्रह में कमी चिंता का विषय है। इस संतुलन को बनाए रखना आवश्यक है।
NationPress
21/06/2025

Frequently Asked Questions

सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि का क्या कारण है?
सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि का मुख्य कारण कॉर्पोरेट कर में वृद्धि है, साथ ही रिफंड में वृद्धि भी एक कारक है।
रिफंड में वृद्धि का क्या प्रभाव पड़ा है?
रिफंड में वृद्धि के कारण शुद्ध संग्रह में कमी आई है, जो एक चिंताजनक संकेत हो सकता है।
ई-पे टैक्स सुविधा का क्या महत्व है?
ई-पे टैक्स सुविधा करदाताओं के लिए कर संबंधित प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, जिससे वे आसानी से अपने करों का भुगतान कर सकते हैं।