क्या उत्तर प्रदेश के सीतापुर में मुहर्रम जुलूस की तैयारियां पूरी हो गईं?

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क्या उत्तर प्रदेश के सीतापुर में मुहर्रम जुलूस की तैयारियां पूरी हो गईं?

सारांश

सीतापुर में मुहर्रम की तैयारियां पूरी हो गई हैं। जुलूस में शामिल होने के लिए सभी समुदायों से शांति और भाईचारे की अपील की गई है। यह आयोजन न केवल धार्मिक है, बल्कि यह सहिष्णुता और एकता का प्रतीक है।

Key Takeaways

  • मुहर्रम का जुलूस शांति और भाईचारे का प्रतीक है।
  • हर धर्म के लोग एकजुट होकर इस आयोजन में शामिल होते हैं।
  • आयोजन का मुख्य उद्देश्य सहिष्णुता और मानवता को बढ़ावा देना है।

सीतापुर, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम मुसलमानों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह महीना पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के नाती इमाम हुसैन और उनके साथियों की 680 ईस्वी में कर्बला की जंग में शहादत की याद को समर्पित है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर में भी अकीदत और सम्मान के साथ मुहर्रम के आयोजन की तैयारी की गई है।

अंजुमन शमा हैदरी के अध्यक्ष मतलूब हैदर नकवी ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि मुहर्रम की सभी तैयारियां समाप्त हो चुकी हैं। 9 मुहर्रम को (शनिवार रात 8 बजे) अंजुमन शमा हैदरी का जुलूस शेख सराय स्थित हाजी साहब के इमामबाड़े से आरंभ होगा। यह जुलूस अपने निर्धारित रास्तों से होता हुआ रात 11:30 बजे बड़े इमामबाड़े (इमामबाड़ा कलामे) पहुंचेगा। रात 12 बजे आग का मातम प्रारंभ होगा, जिसमें बच्चे, नौजवान और बुजुर्ग शामिल होंगे। इस मातम में हर धर्म और समुदाय के लोग एकजुट होकर "या हुसैन, या हुसैन" के नारे लगाते हैं।

उन्होंने लोगों से अपील की कि वे शांति और सौहार्द के साथ जुलूस में शामिल हों और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। कर्बला की घटना का संदेश भाईचारा और मोहब्बत है। इमाम हुसैन ने इस्लाम को राहत और शांति का संदेश देने वाला बताया।

उन्होंने जोर देकर कहा कि मुहर्रम गम का महीना है, न कि उत्सव का। यह इंसानियत और आपसी मेलजोल का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में मुहर्रम का जुलूस शांति से निकाला जाता है और सीतापुर में भी इसे हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से निकाला गया है। उन्होंने प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील दोहराई और कहा कि जुलूस में कोई भी ऐसा काम नहीं होगा जो शांति भंग करे।

उन्होंने सभी समुदायों से एकजुट होकर इस गम में शामिल होने की अपील की। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भाईचारे और इंसानियत का प्रतीक भी है।

Point of View

यह देखना महत्वपूर्ण है कि ऐसे धार्मिक आयोजन समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक बनते हैं। सीतापुर का मुहर्रम जुलूस न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह हमें शांति और सहिष्णुता का पाठ भी पढ़ाता है। समाज में विविधता के बावजूद, हम एक साथ मिलकर एक बेहतर भविष्य की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

मुहर्रम का महीना क्यों महत्वपूर्ण है?
मुहर्रम का महीना इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है, जो इस्लाम में सहिष्णुता और मानवता का प्रतीक है।
सीतापुर में मुहर्रम का आयोजन कब है?
सीतापुर में मुहर्रम का जुलूस 9 मुहर्रम को रात 8 बजे शुरू होगा।
क्या जुलूस में सभी समुदायों को शामिल होने की अनुमति है?
हाँ, जुलूस में सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है।